Saturday, November 17, 2007

मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता...ये लाइन पहले-पहल रेडियो पर,दूरदर्शन के चित्रहार और कॉलेज में टूटे दिल से टूटे हुए दोस्तों की ग़मभरी आवाज़ में कई दफ़ा चाहते ना चाहते हुए सुनी या सुनना पड़ी। सुनकर कभी तो बड़ा रुमानी अहसास होता तो कभी दिल के टूटने की कल्पना करता। कुल मिलाकर ये गाना दिमाग़ के किसी कोने में गहरे बैठ गया गोया अपना सीधा-सीधा कोई अनुभव नहीं रहा। लेकिन बस में ऑफिस के लिए सवार हुए और धक्का-मुक्की के बीच बस के बीचोबीच पहुंचने तक की ही ये कहानी थी। आगे की कहानी थोड़ी देर में

Tuesday, November 6, 2007

आज से से जुड़ने, दिल की बातें अपने जज्बात और बहुत से कुरेदने वाले सवालों को रखने में मैं भी जुड़ रहा हूं। जल्द ही पहला किस्सा पेश करुंगा।